शब्द का गाना
घर में सब लोगों की महफ़िल जमी थी । सब अंत्याक्षरी खेल रहे थे । सभी बहुत ही बेसुरा गा रहे थे । सबको देखकर शब्द को भी जोश आ गया ।
‘...मैं भी दाना दाउंदा...’
‘...तो दाओ न...’ मम्मा बोलीं ।
...और शब्द गाने लगे... टी वी वाला गाना...
‘...कान्हा छू जा जरा...
...कान्हा छू जा जरा...
...बंसी बजइया...
...नंदलाला कन्हइया...
...पर्वत उठइया...
...मक्खन खबइया...
...होमवर्क करइया...
...राक्षस भगइया...
...फ्रेंड के साथ खिलइया...
...सबकी हेल्प करइया...’
जग गाना रबड़ की तरह खिचने लगा तो सबको आ गई हंसी...
...सब हँस पड़े तो शब्द गए रूठ...
...अब रूठ गए तो सब उन्हें लगे मनाने...
और जब मनाने में लग गए तो अंत्याक्षरी हो गई खतम ।
सुनील मानव
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