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राम राम बिस्मिल : सुनील मानव

RAAM-RAAM BISMIL    Written by  SUNEEL MANAV              Vill-Jagatpur, Post-Jograjpur, Distt-Pilibhit 9918992511 / 9307015177 / manavsuneel@gmail.com FWA NO. 026697 SC#1/DAY-MOR/OUT/BANK OF RIVER/ASHAPHAK ULLA KHAN AND PANDIT RAMAPRASAD BISMIL FADE IN एक ओर पं. रामप्रसाद बिस्मिल एक बेदी पर बैठे हुए हवन कर रहे हैं। वह नीचे एक सफेद धोती पहने हुए हैं और शरीर पर मोटा जनेऊ पड़ा हुआ है। वह हवन की अंतिम अहुति डालते हुए उठते हैं और नमाज पढ़ रहे अशफाक उल्ला खाँ की ओर देखते हैं। अशफाक नमाज पढ़ते रहते हैं और बिस्मिल उन्हें खड़े हुए स्नेह से देखते रहते हैं। कुछ पल बाद अशफाक नमाज से उठ जाते हैं। वह जानसाज उठाकर तहाते हैं और अपनी ओर देख रहे बिस्मिल के पास आ जाते हैं। ASHAPHAK . . . क्या देख रहे हो राम. . . BISMIL . . . तुम्हारी तल्लीनता को निहार रहा था. . . ASHAPHAK . . . वो तो तुम रोज ही निहारते हो. . . लेकिन आज तुम्हारी आँखें कुछ और ही बोल रही हैं. . . बिस्मिल कुछ बोलते नही हैं। वह एक नजर भरके अशफाक को निहारते हैं और कुछ दूरी पर पड़ी एक चारपाई पर जा बै