शब्द का आई, नहीं नहीं ‘जे’ फोन

शब्द को मोबाइल बहुत पसंद है लेकिन उसके पास अपना मोबाइल नहीं है । वह कभी मम्मा का तो कभी पापा के मोबाइल से अपना काम चलाता है । इसके लिए उसे मम्मा-पापा को खूब मनाना होता है । कई बार उसे मम्मा-पापा के कई काम भी करने पड़ते हैं । मम्मा तो उसके स्कूल का सारा होमवर्क इसी बहाने करा लेती हैं । और तो और खाना खिलाने के लिए भी मम्मा उसे मोबाइल के नाम से ब्लेकमेल करती हैं ।

इससे शब्द कई बार रूठ जाते हैं । कई बार उन्हें बहुत गुस्सा भी आ जाता है और मम्मा का मोबाइल फेंक देते हैं । ऐसे ही करते-करते एक दिन मोबाइल गया टूट । 

फिर एक दिन पापा, मम्मा के लिए एक नया फोन ले आए । शब्द को यह अच्छा नहीं लगा । वह रूठ कर बैठ गए । मम्मा मनाने गईं तो बोले – ‘आपके ही लिए फोन लाते रहते हैं... एक मेरे लिए भी ले आते तो क्या था... हमें तो पता है... आपको ही प्यार करते हैं... हमें तो खाली बेवकूफ बनाते रहते हैं...’ 

मम्मा ने खूब समझाया शब्द को उस दिन । अपना नया फोन दिया । इस पर शब्द बोले – ‘मुझे चुप कराने के लिए अभी दे रही हो... फिर ले लोगी... मुझे तो नया फोन ही चाहिए... और आई फोन ही चाहिए... ’ 

मम्मा शब्द की इस बात पर अपना पेट पकड़कर खूब हँसी । शब्द को यह अच्छा नहीं लगा । मम्मा ने समझाने का प्रयास किया – ‘आई फोन तो खूब बड़े होकर लिया जाता है...’ 

शब्द – तो पापा के पास क्यों नहीं है आई फोन... 
मम्मा – पापा को चलाना नहीं आता है...  
शब्द – लेकिन मुझे तो आता है... तो मुझे दिला दो... मैं आप लोगों को सिखा भी दूंगा...  
मम्मा – आप जब बड़े हो जाओगे तब दिला देंगे... अभी आप छोटे हो... 
शब्द - यार मम्मा आप समझती क्यों नहीं हो... सब कहेंगे शब्द के पास मोबाइल नहीं है... अच्छा आई फोन नहीं तो ‘जे’ फोन ही दिला दो...  

मम्मा इस बात पर खूब हँसी । 

शब्द – इसमें हँसने वाली क्या बात है...  
मम्मा – जे फोन थोड़े न होता है...  
शब्द – तो आई फोन क्यों होता है...  

अब मम्मा की हँसी रुक गईं । वह समझ नहीं पाई कि शब्द को क्या कहें अब । 
शब्द – मुझे फोन तो चाहिए ही...  

कहते हुए शब्द हँसता हुआ मम्मा का फोन लेकर पापा के पढ़ने वाले कमरे में चला गया । 

सुनील मानव

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