सेंटा के खिलौने
एक दिन की बात है । शब्द सोकर उठे तो उनके पास एक गिफ्ट रखा था । शब्द को पता था – ‘इस रात सेन्टा आने वाला है ।’ इसनेहा मैम ने उसे पहले ही कहानी सुनाई थी । गिफ्ट देखकर शब्द बहुत खुश हो गए । जल्दी से पैकेट खोला... अरे यह क्या !
... शब्द की सभी फ़ेबरेट चीजें...
एक बड़ी सी वॉल... कई सारी चॉकलेट... जेम्स की बोतल... और भी बहुत सारी चीजें...
शब्द सर पकड़कर बैठ गया...
बोला – लगता है पागल ही हो जाऊंगा...
खुशी सम्हाले नहीं सम्हाल रही थी...
पापा से बोला – सेन्टा के पास इतने खिलौने आते कहाँ से हैं...
पापा - उसके पास एक मैजिक बैग होता है... उसी में होते हैं...
शब्द - मेरे पास क्यों नहीं है मैजिक बैग...
पापा - आप जब बड़े हो जाओगे तब आपके पास भी आ जाएगा...
शब्द - आप तो बड़े हो... आपके पास क्यों नहीं हैं...
अब पापा क्या करें । लगे एक झूठ-मूठ की कहानी सुनाने...
‘... सेन्टा के पास एक रथ होता है... उसमें हार्स होते हैं... उनके पंख होते हैं... वह आसमान में उड़ता है...’
‘...हार्स के पंख कैसे होते हैं... वह तो सड़क पर चलता है... शादी में होते हैं हार्स... मैंने तो देखे नहीं उनके पंख...’
‘...अरेह यार सेन्टा वाले हार्स के होते हैं पंख...’
‘...तो मेरे क्यों नहीं हैं... आपके क्यों नहीं है...’
‘...सेन्टा बच्चों का दोस्त होता है...’
‘...दोस्त तो आप भी हो मेरे...’
पापा चिल्ला पड़े... ‘मैं नहीं सुना पाऊँगा...’
‘...अच्छा सुनाओ... अब नहीं बोलूँगा...’
‘...फिर आसमान में उड़ने वाले हार्स के रथ पर सेन्टा बैठकर गिफ्ट लाता है...’
‘...कहाँ से लाता है...’
‘...मून के पास से...’
‘...मून तो बहुत दूर है... सेन्टा के हार्स थक नहीं जाते होंगे...’
‘...वो बादलों पर बैठ जाता है... वहीं उसको एक सोनपरी भी मिलती है... जो उसे लेकर मून के पास जाती है...’
पापा एक सांस में कहानी को काफी आगे तक बढ़ा ले गए लेकिन जैसे ही सांस ली शब्द के सवाल फिर कूद पड़े...
‘सोनपरी कौन होती है...
वह कैसे उड़ती है...
रहती कहाँ है...’
‘...वहीं रहती है... बादलों के ऊपर एक घर है उसका... उसके पंख होते हैं...’
‘...हार्स के भी पंख होते हैं... सोनपरी के भी पंख होते हैं... उसका घर भी बादलों पर होता है... हमारा घर क्यों नहीं है बादलों के ऊपर... हमारे पंख क्यों नहीं होते हैं...’
‘...जब बड़े हो जाओगे... खूब खाना खाओगे तब आपके भी पंख आ जाएंगे और हम सब बादलों पर एक घर बनाएंगे... फिर वहीं रहेंगे चलकर...’
‘...हाँ ये बात ठीक है...’
‘...फिर सोनपरी के साथ सेन्टा मून के पास पहुँच जाता है... मून उनको लेकर एक बड़े कमरे में जाता है... वहाँ खूब सारे खिलौने होते हैं...’
‘...फिर सेन्टा अपने झोले में खूब सारे खिलौने रख लेते हैं...’
‘...सभी खिलौने उनके झोले में कैसे आ जाते हैं...’
‘...बताया तो था... उनका झोला मैजिक वाला होता है...’
‘...मुझे भी ला दो प्लीज़ वो वाला झोला...’
अब पापा के सिर पर मून नाचने लगा... वह शब्द के पास से सिर पर पैर रखा कर भागे...
शब्द ने मम्मा से पूछा - ‘...पापा भाग क्यों गए...’
‘...वह डर गए आपसे...’
‘...मुझसे... !’
...और शब्द अपने खिलौने लेकर बैठ गए...
मम्मी-पापा को बहुत देर तक उनके पास जाने की हिम्मत नहीं हुई...
सुनील मानव
Comments
Post a Comment