'पार्टनर तुम्हारी पालीटिक्स क्या है ?’
भूल-गलती आज बैठी है जिरहबख्तर पहनकर तख़्त पर दिल के ; चमकते हैं खड़े हथियार उसके दूर तक आँखें चिलकती हैं नुकीले तेज़ पत्थर-सी ; खड़ी हैं सिर झुकाये सब क़तारें बेज़ुबाँ बेबस सलाम में , अनगिनत खम्बों व मेहराबों-थमे