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Showing posts from January, 2016

सपा सरकार का फिल्म सब्सिडी अभियान, राम नाम की लूट है ....

आजकल उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार फ़िल्म मेकिंग को खूब बढ़ाव दे रही है। बढ़ावा बोलें तो उत्तर प्रदेश में फ़िल्म बनाने के लिए ‘आर्थिक सहायता’। बस आप उत्तर प्रदेश में फ़िल्म बनाने के बारे में सोचिए, जुगाड़ बनाइए सरकार तक पहुँचने का और भाई यह लीजिए बन गई आपकी फ़िल्म। चाहें कैसी भी हो, बस उसका फिल्मांकन उत्तर प्रदेश में होना चाहिए। आजकल लगभग रोज ही अखबारों में ऐसी खबरें देखी-सुनी जा सकती हैं। साथ ही देखा जा रहा है सरकार को अपनी पीठ थपथपाते हुए भी कि ‘लो भाई हमने उत्तर प्रदेश की संस्कृति की रक्षा कर ली, नहीं तो इसको कोई पूछने वाला नहीं था।’ पर यहाँ पर एक सवाल यह सयास ही उठता है कि उत्तर प्रदेश में फ़िल्ममेकिंग के लिए दिया जा रहा आर्थिक सहयोग फ़िल्म और समाज को किस स्थान पर खड़ा कर रहा है। जिस बात पर आप अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बने जा रहे हैं, क्या आप वास्तव में इसके योग्य भी हैं? अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार की मदद से उत्तर प्रदेश में बनने जा रही एक फ़िल्म की घोषणा सुनाई पड़ी। फ़िल्म है ‘भूमिपुत्र’, जो सपा प्रमुख मुलायम सिंह के जीवन पर बन रही है और इसे बनाने का जिम्मा उठाया है किन्हीं विवेक दीक

मैंने शू शू कर ली

वो महज़ तीन् साल् का हो पाया था अभी | मां के साथ् बाज़ार जाने की स्वाभाविक् जिद करने लगा. मां ने हर् संभव् प्रयास किया बच्चे को समझाने का. जब किसी तरह से बच्चे को समझाया नहीं गया तो मां ने उसे अपने साथ बाज़ार् ले जाने का फैसला लिया और् बच्चे से गोद में ना चढ्ने काम पक्का बाला वादा लेकर् चलने के लिए अपनी अंगुली उसकी ओर् बढा दी. बच्चा ने मां की आंखों में मुस्कुराकर देखा और उनके साथ् बाज़ार् चल दिया. मां बेटे अभी घर् से कुछ दूर ही पहुंचे थे कि बच्चे के छोटे छोटे पांव् थकने लगे. मां को अपने करेजे के टुकड़े का मासूम चेहरा ना देखा गया. ना चाहते हुए भी उसने बच्चे को गोद में उठा लिया. बच्चे के चेहरे पर प्रशन्नता का भाव् खिल् उठा. बाजार तक बच्चा मां की गोद में पहुँच गया तो खरीदारी में हो रही असुविधा के चलते मां ने बच्चे को नीचे उतार दिया. उसकी अंगुली पकडी और खरीददारी करने लगीं. एक दुकान से दूसरी और तीसरी. फिर चौथी, पांचवीं, छठी .... मां की खरीदारी समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही थी और् ऐसे में बच्चे की अकुलाहट मां को महसूस नहीं हो पास रही थी. कुछ देर की और खरीद फरोख्त के बाद जब मां क