शब्द के नखरे

पापा को न जाने क्यों लगाने लगा है कि शब्द के नखरे बड़े अजीब होते जा रहे हैं । 
पहले जब पापा घर से बाहर जाते या वापस आते तो बड़े ही लाड़-प्यार से शब्द के गाल चूम लिया करते ।

 धीरे-धीरे ये शब्द की आदत में आ गया । पापा कभी भूल जाएं तो शब्द नाराज़ हो जाते हैं । 

आज पापा ऑफिस के काम से घर आने में जरा लेट हो गए । वापस आए तो शब्द के गाल चूमे बगैर नहाने चले गए । नहाकर निकले तो फोन आ गया और उसके बाद लैपटॉप लेकर कुछ काम करने लगे । शब्द पर ध्यान ही नहीं दिया ।  

अब जब शब्द को लगा कि पापा उनका गाल नहीं चूमेंगे तो गाल फुलाकर बाहर बैठ गए । मम्मा ने देखा तो पहले उनकी सूरत पर हँसे बगैर फ़ोटो खींच ली । इस पर शब्द थोड़ा और नाराज हो गए । 

आखिरकार मम्मा ने पूछ ही लिया - क्यों नाराज़ हो...  
पहले तो कुछ देर बोले नहीं । कुछ मिन्नतें करबाई । 
फिर सर झुकाए हुए ही कहने लगे – पापा बहुत गंदे हो गए हैं ...   

मम्मा - क्यों… क्या हुआ… 
शब्द - बाहर से आ जाते हैं… नहाने चले जाते हैं… मोबाइल पर लग जाते हैं… लैपटॉप लेकर बैठ जाते हैं लेकिन प्यार ही नहीं करते हैं… 

मम्मा - (कमरे की ओर आवाज देकर) अरे शब्द को प्यार कर दो आकर पहले… ये नाराज़ हैं… 
पापा - (कमरे से ही) यहाँ आ जाओ बेटा… आओ प्यार कर देता हूँ… 

(अब शब्द का क्रोध और बढ़ जाता है । वह आँखें दिखाते हुए मम्मा से कहने लगते हैं…)

शब्द : अब बताओ हम जाएं… तब प्यार करेंगे… आप आप नहीं आ सकते… वो प्यार करना ही नहीं चाहते हैं… मम्मा, पापा बहुत गंदे हो गए हैं… 

मम्मा शब्द के कहे हुए को पापा को बताती हैं । पापा काम को बीच में ही रोककर बाहर आते हैं । शब्द को गोदी लेकर खूब सारा प्यार करते हैं । तब कहीं जाकर इस बात पर मानते हैं कि 'पापा उन्हें काजू दिलाएँ पहले' ।

सुनील मानव

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