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शाहजहाँपुर का रंगमंच : उद्भव और विकास

शाहजहाँपुर जनपद में रंगमंच का इतिहास लम्बा और सशक्त रहा है। करीब 100 वर्ष से ज्यादा लम्बे ज्ञात रंगकर्म के द्वारा इस नगर ने अपनी पहचान बनाई है। नाट्य-लेखन से लेकर मंचन की यह परम्परा काफी विस्तृत है। नगर के रंगमंच का ज्ञात इतिहास 1900 ई. के आस-पास मिलने लगता है। तब से अब तक रंगमंच के क्षेत्र में अनेक संस्थाएँ और व्यक्तित्व उभरकर सामने आए हैं , जिन्होंने शाहजहाँपुर रंगमंच में निरन्तर नए-नए अध्याय जोडे हंै। शाहजहाँपुर रंगमंच के इस सौ वर्ष लम्बे इतिहास-जिसकी जानकारी हमें श्रोत व्यक्तित्वों , संस्थाओं , समाचार पत्रों आदि तमाम माध्यमों से मिलती है-को मोटे तौर पर दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है- (1.) प्राचीन रंगमंच ( 1900 ई. के आस-पास से 1980 ई. तक) (2.) आधुनिक रंगमंच ( 1980 ई. से आज तक) प्राचीन रंगमंच के नाटक अधिकांशतः धार्मिक और ऐतिहासिक होते थे , जिन पर पारसी रंगमंच और नौटंकी शैली का पूरा-पूरा प्रभाव था। वहीं ‘ आधुनिक रंगमंच ’ समाज की अनेकानेक समस्याओं से जुड़ा। उस पर पाश्चात्य नाट्य-शैली का प्रभाव भी पड़ा। उसने काफी हद तक प्राचीन रंगमंच की रूढ़िवादी परम्परा