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Showing posts from June, 2016

क्रांतिबीज सुधीर विद्यार्थी से कुछ बातचीत

सुनील ‘मानव’ : क्रांतिकारी लेखन से आपका जुड़ाव कब, क्यों और किस रूप में हुआ? भारतीय साहित्य-विमर्श में जहाँ पाब्लो नेरूदा, नेल्शन मंडेला, एन्गेल्स इत्यादि को नायक के रूप में भारतीय जनता के समक्ष प्रस्तुत किए जाने का रिवाज है, वहीं आपने भारतीय क्रांतिवीरों को अपने लेखन का अधार बनाया है। इसके पीछे क्या कारण रहे? सुधीर विद्यार्थी : इसके पीछे कारण यह था कि हमने जिन दिनों पढ़ना आरम्भ किया था और हमारा क्रांतिकारी साहित्य की तरफ झुकाव हुआ था, उस समय यशपाल का लिखा हुआ ‘सिंहावलोकन’ और मन्मथनाथ गुप्त की कुछ किताबें या बनारसीदास चतुर्वेदी आदि को देख-पढ़ के यह लगा कि उनमें वह सारी चीजें नहीं आ पा रही हैं जो कि आंदोलन में हम पूरी समग्रता में देख चुके हैं, जिनका इतिहास, जितना मैंने पढ़ा था। उसमें हमें लगा कि ऐसा है कि नायक केवल भगतसिंह या चन्द्रशेखर आजाद ही नहीं, या वही नहीं हैं जो केवल शहीद हुए हैं अथवा जिन्हें शहादत के रूप में बड़ा दर्जा मिला है। बल्कि भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के वो नायक, जिन्हें दूसरी श्रेणी में रखा जा सकता है (जिन्हें शहादत नहीं मिली), वह भी उतने ही महत्त्वपूर्ण क्रांतिकारी थे

नाट्य प्रयोगों के कुशल खिलाडी हैं इंजीनियर राजेश कुमार

नाट्‍य प्रयोगों के कुशल खिलाड़ी हैं इंजीनियर राजेश कुमार  सुनील ‘मानव’ इंजीनियर राजेश कुमार बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उनके कहानीकार / नाटककार / समीक्षक / आलोचक / निर्देशक / अभिनेता आदि अनेक रूप हैं। ‘‘राजेश एक व्यक्ति का नाम नहीं बल्कि एक आंदोलन का नाम है वह जहाँ भी रहे हैं ,जिस शहर में भी रहे हैं वहीं उन्होंने एक नाट्य टीम का गठन किया है। स्वर्गीय श्री सफ़दर हाशमी के समानान्तर वह लगातार सक्रिय रहे हैं। देश के जिन-जिन शहरों में आप गए, वहाँ-वहाँ एक अमिट छाप छोड़ी।’’ पढ़ाई और नौकरी के तबादले के चलते वे विभिन्न शहरों की रंगमंचीय गतिविधियों में निरन्तर सक्रिय रहे हैं। भोजपुर की चर्चित नाट्य संस्था ‘युवानीति’, भागलपुर की ‘दिशा’ और अलीगढ़ की ‘दृष्टि’ के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे राजेश कुमार ने नाटक को हमेशा समाज से जोड़कर देखा। उन्होंने खुद को ‘रगंकर्म’ तक सीमित रखने के बजाय इर्द-गिर्द चल रहे आंदोलनों और सामाजिक गतिविधियों से जोड़कर रखा। 11 जनवरी 1958 को पटना (बिहार) में जन्में श्री राजेश जी की शिक्षा पिता जी के सानिध्य में हुई। उन्होंने भागलपुर इंजीनरिंग कॉलेज से बी.एस.सी. (इल