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शब्द के हजारों प्रश्न

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#ढाई_साल_के_बच्चे_के_हजारों_प्रश्न (दो साल पहले लिखी गई पोस्ट) ‘शब्द’ ढाई साल से ऊपर के हो रहे हैं । इधर उनके प्र्श्नों की सूची लम्बी ही नहीं बहुत लम्बी होती जा रही है । दिन भर में हजारों प्रश्न । ऐसी लगता है जैसे प्रश्नों का कोई झरना है उसके अंदर, जो सतत प्रवाही है । झरता ही रहता है । लगातार । सीमा के साथ किचन में बैठकर खाना बनाने में मदद करना ‘शब्द’ का प्रिय शगल है इस समय । समझा ही जा सकता है कि क्या मदद करते होंगे ! किचन में रखे तमाम डिब्बों, बर्तनों तथा अन्य चीजों के प्रति जिज्ञासा भरे प्रश्न कई बार सीमा का दिमाग खराब कर देते हैं ।  मम्मा यह क्या है ?, क्या ... ?, ये क्या है ? डिब्बा ? चौंककर कहता है । ‘अरे वाह ! ये डिब्बा है मम्मा !’ इसमें क्या है ?, फ़िर ये क्या है ? एक ही वस्तु पर हजारों प्रश्न । तब तक किए जाते रहते हैं जब तक सीमा झल्ला न उठें । क्या यह झल्लाहट ठीक है ? हमारे साथ बाहर घूमने वक्त फ़िर से हजारों प्रश्न । ये क्या है ? ‘फ़्लावर हैं ।’ अरे वाह फ़्लावर हैं । ये किस कलर का है । ‘येलो है ।’ येलो है । लॉन में लगे सैकडों येलो फ़ूलों पर एक-एक कर उँगली रखकर बार-बार पूछते हैं । ऐ

एक था मोहन

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https://youtu.be/v6819u3uQME भारतीय समाज में गांधी एक ऐसा व्यक्तित्त्व रहे हैं जिन्होंने साहित्य, समाज, इतिहास, विज्ञान, राजनीति आदि सभी विषयों को प्रभावित किया है । आइंस्टाइन ने तो यहाँ तक कहा था कि “आने वाली पीढियों को आश्चर्य होगा कि एक हाड मास के व्यक्ति ने ब्रिटिश उपनिवेश की जडें बिना हिंसा के हिला दीं ।’’ लेकिन भारत में लार्ड माउंटबेटन के बिछाए जाल में फंसे हमारे युवा गांधी को न पहचान सके । हमारे युवाओं के दिल में गांधी के अथान पर गोडसे ने स्थान बना लिया ।  आज हमारे स्कूलों के बच्चे / किशोर भी गांधी को हिकारत भरी नज़रों से देखते हुए मैंने देखा है । इसका एक कारण वे अनपढ़ शिक्षक हैं जो बिना पुस्तकें पढे हुए बच्चों को ज्ञान की घुट्टी पिला रहे हैं ।  ऐसे विषाक्त दौर में यदि आप किशोरों में गांधी को बचाना चाहते हैं तो “एक था मोहन” पुस्तक आपके और उन किशोर बच्चों के लिए महत्त्वपूर्ण पुस्तक है । पुस्तक में बडी ही सहजता से गांधी जी के जीवन और दर्शन को प्रस्तुत किया गया है । उनके संघर्ष को सरल शब्दों में पिरोया गया है ।  आज के मशीनी युग में गांधी दर्शन एक ऐसी औषधि मुझे लगी जो आने वाली पीढ़ी

अखबारों ने

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