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वर्तमान में गांधी की प्रासंगिकता का प्रमाण : परिंदे का गांधी विशेषांक

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वर्तमान में जितना अधिक गांधी को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, गांधी उतनी ही प्रबल आत्मशक्ति से इन विरोधी ताकतों के सम्मुख डटकर खड़े हो रहे हैं । बदलती हुई राजनैतिक परिस्थितियों ने सबसे बड़ा हमला भारत के समन्वयात्मक प्रतीकों पर किया है । ऐसे में जहाँ कई प्रतीक धराशाही हुए हैं तो कई ने अपनी पकड़ को और अधिक मजबूत किया है । इन मज़बूत प्रतीकों में गांधी सर्वाधिक गहराई और मजबूती के साथ इन विघटनकारी ताकतों के सामने खड़े होते हैं । आज जबकि अलगाववादी ताकतें 'भारत की आत्मा' को खत्म करने पर तुली हैं, गांधी हमें इन ताकतों के साथ मज़बूती से लड़ने की आत्मशक्ति प्रदान कर रहे हैं ...  ... आत्मशक्ति के संचयन के इस दौर में हिंदी के वर्तमान साहित्य में नवीन से नवीन आख्याएँ प्रस्तुत की जा रही हैं । इन आख्याओं  और विचारों की मज़बूत होती जा रही शृंखला में ‘परिंदे’ का 'राष्ट्रपिता, कल, आज और कल' संयुक्तांक एक नवीन दृष्टि, एक नवीन ऊर्जा, एक नवीन प्रेरणा और एक नवीन राह के द्वार खोलता है ।  वास्तव में 'परिंदे' का गांधी मूल्यों पर आधारित यह संयुक्तांक पढ़ना गांधी दर्शन की एक सहज किन्