घने जंगल में

घने जंगल में

शब्द अभी यही कोई तीन साल के हैं । आज उनका मूड कहानी सुनाने का हो रहा है । वह एक किताब उठाते हैं, जिसमें खूब सारे रंग बिरंगे चित्र बने हुए हैं । वह कुछ देर उन चित्रों को देखते हैं और घर में सबके बीच बैठकर कहानी सुनाने लगते हैं - 
‘‘एक लड़का होता है ... उसके पापा भी होते हैं ... एक दिन वो जंगल मेनजाते हैं ... तो उनको वहाँ एक टाइगर मिलता है ... टाइगर चुपचाप बैठा था ... वो लड़का अपने पापा के साथ वहाँ से भाग जाता है । फिर उसको एक गिल्लू मिल जाती है । अब दोनों फ्रेंड बन जाते हैं । अब उस लड़के को अपने पापा और फ्रेंड गिल्लू के साथ जंगल में घूमते-घूमते रात हो जाती है । तभी उसको एक इसनेक मिल जाता है । फिर वो इसनेक भी उसका फ्रेंड बन जाता है । अब सब लोग इसनेक के घरपर जाते हैं । इसनेक का घर एक ट्री पर होता है । सब ट्री पर सोने लगते हैं । तभी वहाँ एक उल्लू और एक भूत आ जाता है । सब लोग उससे डरने लगते हैं । फिर मून आ जाता है । जब मून आटा है तब सन अपने घर चला जाता है । मून का भी एक भइया होता है । जैसे आप पापा और मैं आपका भइया हूँ ... । 
... तभी गिल्लू भागकर कहीं जाती है । तभी सब लोग आ जाते हैं । उल्लू डर जाता है ... और भूत भी डर जाता है । अपने कान पकड़ने लगता है । फिर वो जो भइया होता है, उसकी मम्मा आ जाती हैं । फिर सब लोग घर पर आ जाते हैं । बस ! कहानी खतम । पइसा हजम ...’’  
अब क्या था ... शब्द रोज कहानी सुनाने लगे... जिस दिन नहीं सुनाते, सब उनसे कहानी सुनाने की जिद करने लगे । एक दिन शब्द को गुस्सा आ गया । बोले – ‘त्या आप लोद बत्ते हो ... दो लोद-लोद तहानी थुनने ती दिद तलते हो ...’’ 
सब लोग हँसते हुए एक साथ बोल पड़े – ‘‘...हाँ हम थब लोद बत्ते ही हैं ... अब आप तो लोद एत तहानी थुनानी पलेदी ...’’ 
अब शब्द समझ गए कि घर के सब लोग उसकी मजाक बना रहे हैं । वह शरमाकर बाहर भाग गए ... 


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