मैं टेलीवीजन बनना चाहता हूँ


मैं टेलीवीजन बनना चाहता हूँ

कथा, पटकथा एवं संवाद : सुनील ‘मानव’

“दुनिया के उन सभी बच्चों को,
             जो अपने माता-पिता से केवल
             प्यार चाहते हैं।”
                -      सुनील ‘मानव’
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 सीन : एक / अंदर / ड्राइंगरूम / दिन

कैमरा मध्यम वर्गीय आवश्यकताओं से परिपूर्ण एक कमरे पर फोकस करता है। इस कमरे में एक ओर किचन है, एक ओर बेड़रूम हैं। सामने की ओर एक बड़ा दरवाजा है, जो इस ड्राइंगरूम का मुख्य गेट है। एक बड़ा एल.सी.डी. टेलीवीजन लगा है, जिस पर ‘सास भी कभी बहू थी’ जैसा कोई धारावाहिक चल रहा है। टी.वी. के सामने एक अच्छा सा सोफा सेट है, जिस पर एक महिला बैठी हुई स्कूल की कापियाँ चेक कर रही है। कॉपियों को चेक करते हुए उसके चेहरे पर कई प्रकार के हाव-भाव आ-जा रहे हैं। कैमरा इस महिला पर फोकस करता है। पार्श्व से धारावाहिक के संवाद मद्धम ध्वनि में सुनाई पड़ रहे हैं।
महिला कॉपियाँ चेक करने में पूरी तरह से मग्न है। तभी उसे सामने के मेन गेट से कॉल-वेल की ‘टिंग-टॉग’ सुनाई पड़ती है। वह एक नजर गरवाजे की ओर देखती है और सोफे के सामने की टेबल, जिस पर कॉपियाँ भी रखी हैं, पर रखे रिमोट से टी.वी. ऑफ करते हुए उठती है।
कैमरा महिला को दरवाजे की ओर जाता हुआ दिखाता है और पीछे से उसे दरवाजे में लगे एक लेंस से बाहर झांकते और फिर चेहरे पर हल्की मुस्कान लेकर दरवाजे की सिटकनी खोलते हुए कबर करता है।
दरवाजा खुलने पर सामने एक सूटेड-बूटेड व्यक्ति दिखाई देता है। यह महिला का पति है। दोनों एक-दूसरे को देखकर हल्के से मुस्कुराते हैं। व्यक्ति अपनी टाई को ढीली करते हुए अंदर प्रवेश करता है।
कैमरा महिला पर फोकस करता है, जो दरवाजे की सिटकनी लगाते हुए कुछ कहती है।

महिला : . . . आज बड़े लेट हो गए हैं. . . क्या रोज की भाँति आज फिर बॉस ने चलते समय मीटिंग रख दी. . .(हल्के से व्यंग्यात्मक लहजे में पति की ओर देखते हुए मुस्कुराती है और किचन की ओर बढ़ जाती है।)

पुरुष : (थका हुआ सा सोफे पर हाथ-पैर फैलाकर आराम की मुद्रा में बैठ जाता है. . . सर को सोफे पर टिकाते हुए . . . ) हाँ भइ! . . . जब से मि. बाजपाई ने एम.डी की पोस्ट सम्हाली है . . . जनाब के तेबर ही बदल गये . . . रोज मीटिंग. . . रोज मीटिंग. . . (थोड़ा उठते हुए) . . . और वह भी ऑफिस टाइम के बाद . . .  पूरा का पूरा ऑफिस इनके अंगेस्ट हो रहा है . . . (वापस आराम की मुद्रा में सोफे पर सर टिकाते हुए आँखें बंद कर लेते हैं।)

कैमरा किचन से एक ट्रे में पानी का एक गिलास रखे हुए पति की ओर आती महिला को दिखाता है।

महिला : (पति के पास आकर . . .) लीजिए . . . ये प्राइवेट नौकरी है. . . जो न करना पड़े . . . कम है . . . (पति के बराबर में बैठते हुए. . . ) . . . अब देखिए ना हमारे स्कूल में . . . मिसेस. शर्मा मिड सेसन में स्कूल छोड़ गईं और उनके क्लाश की जिम्मेवारी प्रिंसपल ने हमारे सर दे मारी . . .

पति ट्रे से पानी का गिलास उठाकर पीता है और वापस उसी मुद्रा में बैठ जाता है। उसके भावों से लगता है कि वह काफी थका हुआ है और पत्नी से ज्यादा बात करने के मूड में नहीं है। कुछ देर के लिए शांति रहती है। इसी शांति के पल मे पत्नी टेबल पर बिखरी पड़ी कॉपियाँ सहेजती है।

महिला : (पुरुष की ओर देखते हुए . . .) चाय पियेंगे . . . बना दूँ . . .

पुरुष : (सहमति में केवल सर हिलाता है . . . )

महिला उठकर किचन की ओर चली जाती है। कैमरा केवल महिला का ऊठकर जाना दिखाता हुए पुरुष पर ही केन्द्रित होता है।
अब पुरुष थोड़ा सहज होते हुए उठता है। अभी तक पहने हुए जूते खोलकर थोड़ा व्यवस्थित होकर सामने की टेबल पर रखे रिमोट को उठाता है। रिमोट से टी.वी.ऑन करता है।
कैमरा रिमोट से होता हुआ टी.वी. पर एक नजर डालता है। कई चैनल बदलते हुए दिखाई देते हैं, फिर डिस्कबरी पर आकर टी.वी. की स्क्रीन स्थिर हो जाती है।
क्रमश: कैमरे का फोकस बढ़ता हुआ पूरे कमरे को अपनी ग्रिप में लेता है। एक नजर वापस कमरे पर डालता हुआ किचन से एक ट्रे में  दो कप रखे हुए पुरुष की ओर आती हुई महिला को दिखाता है। महिला पुरुष के पास सोफे पर बैठ जाती है। टेबल पर ट्रे रखकर उसमें से एक कप उठाते हुए पुरुष को देती है।
पुरुष महिला से कप लेता है। दोनों करीब-करीब एक साथ ही कप को मुँह से लगाते हैं।
पुरुष अब कुछ फ्रेस महसूस कर रहा है। चाय पीते हुए वह रिमोट उठाकर चैनल बदलता है। अलग-अलग चैनलों को कुछ अस्पष्ट आवाजों के साथ किसी न्यूज चैनल की स्पष्ट आवाज सुनाई पड़ती है। कैमरा टी.वी. पर फोकस करता हुआ वापस सोफे पर स्थिर होता है।
पुरुष चाय की चुस्कियों के साथ टी.वी. देकने में मग्न है और महिला कॉपियाँ चेक करने में लग जाती है।
कुछ देर के इसी वातावरण के बाद कॉपियाँ चेक करती हुई महिला कुछ मुस्कुराती हैं। फिर हल्के से हँसती है और एक कॉफी को हाथ में लिए पुरुष की ओर देखती है।

महिला : (पुरुष से . . . ) . . . पता है आज स्कूल में क्या हुआ .

पुरुष : (टी.वी. में ध्यान लगाये हुए ही . . . महिला की ओर नहीं देखता है . . .) क्या हुआ . . .

महिला : (पुरुष की ओर देखते हुए . . .) . . . आज क्लाश थर्ड की क्लाश टीचर मिसेस खान नहीं आई थीं . . . प्रिंसपल मैंम ने उनके क्लाश में मेरा अरेंजमेंट लगा दिया. . .

पुरुष : (थोड़ा हँसते हुए . . . ) तो इसमें नई बात क्या है . . .

महिला : (अपने तेबर में थोड़ी तेजी लाते हुए) . . . नई बात है मि. अवस्थी . . .

महिला के इस अस्वाभाविक तेबर से पुरुष का ध्यान टी.वी. से थोड़ा हटकर महिला पर स्थिर होता है। महिला पुरुष को कुछ बताने की मुद्रा में आकर उसकी ओर मुड़कर बैठ जाती है।

महिला : मैं तो इंग्लिश पढ़ाती हूँ और जिस क्लाश में मेरा अरेंजमेंट लगा था. . . उसमें मैथ्स का पीरियट था. . . मैंने सोचा मैं मैथ्स तो पढ़ाने से रही. . . तो आज इन बच्चों से कुछ जरनल बातें की जाएं . . .  मैंने एक-एक बच्चे को उठाकर उनसे पूछना शुरू किया . . .

कट टू फ्लेशबैक

सीन : दो / अंदर / क्लाशरूम / दिन

कैमरा एक क्लाशरूम को दिखाता है। जिसमें करीब बारह-पन्द्रह बच्चे बैठे हुए हैं। इन बच्चों की उम्र यही कोई आठ से बारह साल के बीच है। बच्चों के सामने उनकी टीचर खड़ी उनसे बातें कर रही है। सभी बच्चे टीचर के साथ बातें कर रहे हैं।
कैमरा पहले अंदर आती हुई एक टीचर पर फोकस करता हुआ बच्चों को दिखाता है, फिर बच्चों और टीचर के संवादों के आधार पर क्रमश: टीचर और बच्चों पर फोकस करता है।

टीचर : (अपना पर्श मेज पर रखते हुए) ओ. . .हो लवली चिल्ड्रेन . . . सिट डाउन . . . सिट डाउन . . . (हाथ से बच्चों को बैठने का इशारा करती है।)

बच्चे : (सभी एक साथ जो टीचर के अंदर आने पर खड़े हो गये हैं, बैठते हुए) . . . थैक्यू मैंम . . . गुडमॉर्निंग मैंम. . .

टीचर : (चेहरे पर प्यार भरा भाव लाते हुए) . . . ओ. . .हो. . . गुडमॉर्निंग चिल्ड्रेन . . . लवली चिल्ड्रेन . . .  

टीचर : (मेज के सामने आ जाती है। बच्चों से बात करने की मुद्रा में. . .) डियर चिल्ड्रेन . . . क्या आप मेरे साथ बातें करेंगे . . . मेरा पढ़ाने का मूड नहीं है . . .

बच्चे : (सबका चेहरा खुशी से चमक उठता है। सभी एक साथ) . . . यश मैंम . . .

टीचर : चिल्ड्रेन आज मैं आप सब से यह जानना चाहती हूँ कि आप सब फ्यूचर में क्या बनना चाहते हैं . . .  बतायेंगे ना कि आप सब बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं . . .

बच्चे : (एक साथ थोड़ा चीखते हुए) . . . यश मैंम. . .

टीचर : (सभी बच्चों को देकती हुई) . . . अच्छा तो पहले कौन बतायेगा. . . .(उंगली के इशारे से बच्चों को चिन्हित करती है, कोई बच्चा पहले बताने के लिए नहीं खड़ा होता है।) . . . अच्छा इधर से शुरू करते हैं. . . चलिये मुस्कान पहले आप बताइये . . . आप बड़े होकर क्या बनना चाहती हो . . . ?

मुस्कान : . . . मैं . . . मैं . . . मैंम एअर होस्टेज बनना चाहती हूँ . . . क्योंकि मैं मुझे उड़ना बहुत अच्छा लगता है. . .

मुस्कान के बाद सभी बच्चे क्रमश: अपने-अपने बारे में बताते हैं। टीचर उनकी ओर बड़े प्यार से देखती है। कैमरा टीचर और बच्चों के चेहरे पर आने वाले भावों को विशेष रूप से कबर करता है।
एक-एक करके सभी बच्चे अपने बारे में बताते हैं। अब सबसे पीछे बैठे हुए एक बच्चे हर्ष की बारी आती है। वह सर झुकाये हुए क्लाश से अनजान सा चुपचाप बैठा है। कुछ देर के गैप के बाद भी जब वह नहीं बोलता है तब टीचर उससे कहती है।

टीचर : (उसके पास जाकर उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए) . . . बेटा आप ऐसे चुपचाप क्यों बैठे हो . . . आप भी बताओ . . . आप क्या बनना चाहते हो . . .

क्लाश के सभी बच्चे पीछे मुड़कर उसकी ओर देखते हैं। कोई मुस्कुराता है तो कई हँसते हैं। एक बच्चा कुछ कहता है।)

शिखर : . . . मैं. . . .मैंम यह बहुत कम बोलता है . . . क्लाश में इसका कोई फ्रेंड भी नहीं है . . .

दूसरा बच्चा : . . . मैंम यह रोज ही चुपचाप पीछे की सीट पर बैठा रहता है . . .

तीसरा बच्चा  : . . . पर मैंम यह स्टडी में बहुत तेज है . . . हमेशा क्लाश में फर्स्ट आता है . . . और मुझे सेकेंड पर धक्का दे देता है . . .(मायूसी से सर झुका लेता है)

सभी बच्चे एक साथ फिर हँस पड़ते हैं। तब तक वह बच्चा खड़ा हो जाता है। टीचर उसके सर पर फिर प्यार से हाथ फेरती है।

टीचर : . . . अरे ये तो बहुत अच्छी बात है कि यह फर्स्ट आता है . . . देखना एक दिन यह बड़ा होकर राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की तरह देश का नाम रोशन क. . .

बच्चा टीचर की बात बीच में ही काट देता है। और पहले कुछ तेज बाद में दीरे से बोलता है।

हर्ष : (तेज आवाज में) नहीं मैं . . . (अब धीरे से. . .) . . . मैंम . . . मैं अब्दुल कलाम नहीं बनना चाहता . . .

टीचर : (थोड़ा हतप्रभ-सी होकर उसके चेहरे पर अपनी नजरे और ज्यादा गहरे गड़ाते हुए बड़े प्यार से) . . . फिर क्या बनना चाहते हो आप . . .

हर्ष : . . . मैं . . .मैं . . . मैंम टेलीवीजन बनना चाहता हूँ. . .

क्लाश के सभी बच्चे जोर से हँसते हैं। पर टीचर स्थिर रहती है। हर्ष कुछ सकपका जाता है। टीचर उसके और पास जाकर स्नेह से उसके दोनों गालों पर हाथ फेरती है।

टीचर : . . . आप टेलीवीजन क्यों बनना चाहते हो बेटा . . .

हर्ष : (कुछ सकुचाते हुए) . . . मैं. . . मैं. . . मैंम. . . इसलिए टेलीवीजन बनना चाहता हूँ कि सब मुझे उसकी भाँति प्यार करें. . . (बच्चा थोड़ा नॉर्मल हो चुका है। अपने आप में ही खोता हुआ) . . .मैंम. . . मेरे मम्मी-पापा के पास बहुत सारे काम रहते हैं . . .  लेकिन जब भी उनके पास समय होता है तो वह वो समय भी मुझे नहीं देते. . . टेलीवीजन को देते हैं. . .  मैंम उनके पास उनके सभी कामों के लिए टाइम है. . . घूमने के लिए . . . दोस्तों से हँसी-मजाक करने के लिए. . . ऑफिस के लिए . . . और . . . और मैं बाकी बचा सारा टाइम टेलीवीजन के लिए भी है . . . पर . . .पर मैंम मेरे लिए उनके पास बिलकुल टाइम नहीं है. . . इसलिए मैंम मैं टेलीवीजन बनना चाहता हूँ . . .

टीचर की आँखों में आँसू आ जाते हैं। वह उस बच्चे को बिना कुछ बोले हुए गले लगा लेती है। सभी बच्चे इमोशनल हो जाते हैं।

कट टू

सीन : तीन / अंदर / ड्राइंगरूम / दिन

ड्राइंगरूम में सोफे पर बैठे दोनों स्त्री-पुरुष एक-दूसरे की आँखों में देखते हैं। पुरुष हाथ में पकड़े हुए रिमोट से टी.वी. ऑफ कर देता है। दोनों इमोशनल होते हुए दिखते हैं।

पुरुष : (हल्के स्वर में) . . . अपना अभिनव कहाँ है . . .

महिला : (पुरुष की ओर देखते हुए) . . . अपने कमरे में . . .

पुरुष उठता हुआ एक कमरे की ओर जाता है। महिला उसे पीछे से जाते हुए देखती है।

कट टू

सीन : चार / अंदर / बच्चे का कमरा / दिन

कमरा बच्चे की जरूरतों से सजा हुआ है। पुरुष देखता है कि सामने के बेड पर बच्चा सो रहा है। उसके हाथ में पकड़ा हुआ वीडियोगेम अब भी चल रहा है। पुरुष उसके पास में आकर बैठ जाता है। बच्चे के सिर पर प्यार से हाथ रखता है। बच्चे के चेहरे की ओर देखता हुआ कुछ सोचने लगता है।

कट टू / सीन फ्रीज

सीन : पाँच / अंदर / ड्राइंगरूम / दिन

घर के अंदर आने वाले दरवाजे से पुरुष अंदर आता हुआ दिखता है। दरवाजा खोलने आया एक बच्चा (पुरुष का बेटा ‘अभिनव’) ‘पापा – पापा’ कहते हुए पुरुष से लिपटता है। पुरुष टेंशन में लगता है। वह बच्चे को झिड़क देता है।

पुरुष : (बच्चे को अपने से थोड़ा दूर करता हुआ) . . . चिपट क्यों रहे हो यार. . . कहीं भागा जा रहा हूँ . . . जाओ अपना काम करो. . .बाद में बात करता हूँ . . .

पुरुष थका-हारा सा सामने के सोफे पर जा बैठता है। कुछ दूर पर ठिठका सा खड़ा हुआ बच्चा उसे देखता रहता है। सोफे पर बैठा हुआ पुरुष अपनी टाई ढीली करता है फिर सामने की टेबल पर रखे रिमोट से टी.वी. ऑन करता है। टी.वी. पर किसी समाचार चैनल की ध्वनि सुनाई पड़ती है।
बच्चा कुछ देर पुरुष और टी.वी. को क्रमश: देखता रहता है, फिर धीरे-धीरे अपने कमरे की ओर चेहरे पर उदासी का भाव लिए हुए चला जाता है।

कट टू

सीन : छ: / अंदर / बच्चे का कमरा / दिन

पुरुष सोते हुए बच्चे के पास बैठा हुआ उसके सर पर हाथ फेर रहा है। कैमरा उसे दिखाता हुआ धीरे-धीरे कमरे के दरवाजे पर फोकस करता है, जहाँ से महिला अंदर आती हुई दिखती है। पुरुष महिला की ओर देखता है। उसकी आँखों में आंसू की बूँदे हैं। महिला उसके पास आकर बैठ जाती है। बड़ी ही संवेदनात्मक भाव के साथ एक नजर पुरुष पर डालती है फिर सोते हुए बच्चे को गौर से निहारने लगती है।

कट टू / सीन फ्रीज

सीन : सात / अंदर / ड्राइंगरूम / दिन

ड्राइंगरूम से सटे हुए किचन में महिला खाना बना रही है। सामने ड्राइंगरूम में किसी चैनल पर ‘बालिका वधू’ टाइप कोई सीरियल चल रहा है। महिला का ध्यान खाना बनाते हुए भी टी.वी. पर है।
कैमरा इस पूरे वातावरण को कैद करता हुआ अंदर के कमरे से ड्राइंगरूम  में आते हुए बच्चे (उसका पुत्र ‘अभिनव’) को केन्द्रित करता है।
बच्चा दौड़ता हुआ आकर पीछे से माँ की कमर में चिपक कर ‘लड़ुकाने’ लगता है। महिला बच्चे की ओर देखे बिना ही उसे झिड़कर अपने से दूर हटाती है।

महिला : . . . बेटा . . . आपका कल एग्जाम है ना . . . आप यहाँ क्या कर रहे हो . . . जाओ . . . अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करो. . .

बच्चा : (वापस महिला से सिपकने का प्रयास करता है) . . . मम्मा कर लिया है सारा काम . . . अब मुझे कुछ देर आपके साथ खेलना है. . . प्लीज मम्मा . . .

महिला : (बच्चे की ओर देखते हुए उसे फिर से, अबकी बार और तेज, झिड़क देती है) . . . अभीऽऽऽऽऽऽ . . . आप गंदे बच्चे होते जा रहे हैं . . . मम्मा की बात नहीं मान रह हैं . . . आपको क्लाश में फर्स्ट आना है कि नहीं . . . जाओ अपने कमरे में . . . ट्‍यूशन वाले सर आ ही रहे होंगे. . .

बच्चा मायूस हो जाता है। वह सर झुकाये हुए अपने कमरे की ओर जाने लगता है। महिला वापस किचन से ही टी.वी. देखने में मग्न हो जाती है। अपने कमरे की ओर जाता हुआ बच्चा एक बार मुड़कर महिला की ओर देखता है, फिर सर झुकाकर एक दरवाजे में प्रवेश कर जाता है।

कट टू

सीन : आठ / अंदर / बच्चे का कमरा / दिन

दोनों महिला और पुरुष बच्चे के सर पर प्यार का हाथ फेरते हुए एक – दूसरे की ओर देखते हैं। बच्चे के सर पर हाथ फेरते हुए उनके हाथ एक- दूसरे से टकरा जाते हैं। पुरुष की आँऒं से आंसू की दो बूँदे टपक पड़ती हैं। वह अचानक सीरियस हो उठता है।

पुरुष : (महिला के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए) . . . आओ सुषमा हम आज वादा करें कि हम कुछ भी करके अपने अभिनव के लिए समय जरूर निकालेंगे . . . वादा करो सुषमा. . . (महिला की आँखों में देकता है)  

महिला  : (पुरुष के हाथों को कसकर पकड़ते हुए उसकी आँखों में देखते हुए उसके प्रश्न की सहमति में मूक उत्तर देती है)

दोनों एक साथ  : . . . हम वादा करते हैं . . . हम अपने बच्चे के लिए समय जरू निकालेंगे।

महिला और पुरुष की बात-चीत के इसी सिलसिले के मध्य बच्चे की नींद टूट जाती है। वह अपने पास मम्मी और पापा को एक साथ देखकर थोड़ा आश्चर्यचकित होता है। दोनों बच्चे की ओर गीली आँखों से देकते हैं और एक साथ ही उसे गले लगा लेते हैं।

बच्चा : (दोनों की ओर देखता हुआ मुस्कुराता है और उनकी आँखों में आये आँसू पोछता हुआ बोलता है) . . . थैंक्यू पापा . . . थैंक्यू मम्मा . . . मैं फिर फर्स्ट आ गया . . .

दोनों एक साथ फिर से उसे प्यार से गले लगा लेते हैं।


कट टू

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