सपा सरकार का फिल्म सब्सिडी अभियान, राम नाम की लूट है ....


आजकल उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार फ़िल्म मेकिंग को खूब बढ़ाव दे रही है। बढ़ावा बोलें तो उत्तर प्रदेश में फ़िल्म बनाने के लिए ‘आर्थिक सहायता’। बस आप उत्तर प्रदेश में फ़िल्म बनाने के बारे में सोचिए, जुगाड़ बनाइए सरकार तक पहुँचने का और भाई यह लीजिए बन गई आपकी फ़िल्म। चाहें कैसी भी हो, बस उसका फिल्मांकन उत्तर प्रदेश में होना चाहिए। आजकल लगभग रोज ही अखबारों में ऐसी खबरें देखी-सुनी जा सकती हैं। साथ ही देखा जा रहा है सरकार को अपनी पीठ थपथपाते हुए भी कि ‘लो भाई हमने उत्तर प्रदेश की संस्कृति की रक्षा कर ली, नहीं तो इसको कोई पूछने वाला नहीं था।’
पर यहाँ पर एक सवाल यह सयास ही उठता है कि उत्तर प्रदेश में फ़िल्ममेकिंग के लिए दिया जा रहा आर्थिक सहयोग फ़िल्म और समाज को किस स्थान पर खड़ा कर रहा है। जिस बात पर आप अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बने जा रहे हैं, क्या आप वास्तव में इसके योग्य भी हैं?
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार की मदद से उत्तर प्रदेश में बनने जा रही एक फ़िल्म की घोषणा सुनाई पड़ी। फ़िल्म है ‘भूमिपुत्र’, जो सपा प्रमुख मुलायम सिंह के जीवन पर बन रही है और इसे बनाने का जिम्मा उठाया है किन्हीं विवेक दीक्षित ने। पता चला है कि इस फ़िल्म के लिए सपा सरकार ने तकरीबन ३०-४० करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। इतनी बड़ी धनराशि यदि सरकार की ओर से मिल रही है तो सरकारी मानकों के हिसाब से इतनी ही धनराशि फ़िल्ममेकर्स को भी लगानी चाहिए। तब तो ७०-८० करोड़ में एक ऐतिहासिक फ़िल्म बन सकती है। और जब किसी व्यक्ति को इतिहास का अंग बनाया जाता है तो उसे नहला-धुलाकर सफेद कपड़े ही पहनाए जाते हैं। क्या वास्तव में मुलायम सिंह यादव के कपड़ों पर लगे काले दागों को कोई डिटर्जेण्ट छुटा सकता है। अगर नहीं तो ऐतिहासिक फ़िल्म कैसे बन सकती है।
फ़िल्ममेकर का मानना है कि मुलायम सिंह के जीवन के कई शेड्‍स हैं। उनके जीवन में कई वैरियेशन हैं। उनका मानना है कि किसान वो रहे, लठैत वो रहे, पहलवान वो रहे, शिक्षक वो रहे. . . और. . . और राजनीति के दिग्गज योद्धा तो वे हैं ही। एक सफल फ़िल्म के नायक में जितनी खूबियाँ होनी चाहिए, वो सब की सब बतौर फ़िल्मकार माननीय मुलायम सिंह जी के जीवन में मौजूद हैं। लेकिन सच इतना ही नहीं है। इससे कुछ आगे भी है, जिस पर फ़िल्मकार ने संभवतया गौर नहीं किया है। वास्तव में मुलायम सिंह के जीवन के उन पहलुओं पर गौर किए बिना उनके सही चरित्र को दिखाया नहीं जा सकता है।
आदरणीय मुलायम सिंह जी के ऊपर लगे बलात्कार के आरोप, बाबरी काण्ड में सरे आम गोलियाँ चलवाने वाला उनका चेहरा और साथ ही राममनोहर लोहिया एवं जनेश्वर मिश्र के समाजवाद को वर्तमान राजनीति के बजार में जो बोली लगी, इससे उनका एक दूसरा ही चरित्र उभरकर सामने आता है। अब फ़िल्मकार की परीक्षा इसी में है कि वह उनके चरित्र के साथ किस हद तक जाकर न्याय करता है। उनके चरित्र की असल पहचान करता है या उनको देवता बनाकर इतिहास के पन्नों में दर्शा देना चाहता है।
मान लीजिए कि फ़िल्मकार यह चुनौती उठाने को तैयार हो जाता है कि वह सिक्के के दूसरे पहलू को दिखाने का प्रयास भी करता है तो क्या ३०-४० करोड़ की सहायता से अपने मुखिया पर फ़िल्म बनवाने वाली सरकार इसे स्वीकार कर पाएगी ? फ़िल्मकार कितनी स्वतंत्रता और रिसर्च के साथ इस फ़िल्म का निर्माण कर सकेगा ? कहीं फ़िल्मकार सपा प्रमुख के ऊपर फ़िल्म बनाने की घोषणा करके रातों रात ‘हाइलाइट’ तो नहीं होना चाहता था ? तमाम सारे प्रश्न हैं जो आज-कल हमारे दिमाग में उथल-पुथल मचाए हुए हैं।
एक दूसरी बात और है। इधर जबसे सपा सरकार ने फ़िल्म के लिए सब्सिडी देने की घोषणा की है, और खासकर ‘भूमिपुत्र’ फ़िल्म के लिए ३०-४० करोड़ रुपये देने की बात की है, तबसे कई फ़िल्मकार मित्रों ने अपने कुछ विचार व्यक्त किये। वह यह कि ‘यार एक कहानी लो, जो उत्तर प्रदेश में ही फ़िल्माई जा सकती हो और जिसका बजट १०-१५ लाख से अधिक न हो; परन्तु उसका प्रदर्शित बजट १०-१५ करोड़ दिखना चाहिए। इससे सरकार कितना भी कम दे,, हमारे वास्तविक बजट से ज्यादा ही दे देगी। और सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि फ़िल्म कैसी भी बने, चले या न चले फ़िल्मकार की खुजली भी मिट जायेगी और बैठे-बिठाये फ़िल्म चले बिना ही आर्थिक लाभ भी हो जायेगा।
वास्तव में सरकार को सूझ-बूझ से काम लेना चाहिए। अपने प्रचार के लिए किए जा रहे इस बंदरबाँट को रोकना चाहिए, क्योंकि लोग उसका फायदा लैपटॉप की भाँति अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए ही उठायेंगे न कि कला और संस्कृति के उत्सर्जन के लिए। लेकिन बावजूद इसके सरकार को स्थाई और सच्चाई से लबरेज प्रॉजेक्टों को दिल खोलकर बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए तीसरी आँख का इस्तेमाल अत्यंत आवश्यक है। सरकार को चाहिए कि वह सिक्के के दोनों पहलुओं की गहरी पड़ताल करते हुए आत्मप्रशंसा और मिथ्या आत्मप्रचार से बचने का प्रयास करे।

२६.०८.२०१५
जगतपुर

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