एक था मोहन

https://youtu.be/v6819u3uQME

भारतीय समाज में गांधी एक ऐसा व्यक्तित्त्व रहे हैं जिन्होंने साहित्य, समाज, इतिहास, विज्ञान, राजनीति आदि सभी विषयों को प्रभावित किया है । आइंस्टाइन ने तो यहाँ तक कहा था कि “आने वाली पीढियों को आश्चर्य होगा कि एक हाड मास के व्यक्ति ने ब्रिटिश उपनिवेश की जडें बिना हिंसा के हिला दीं ।’’ लेकिन भारत में लार्ड माउंटबेटन के बिछाए जाल में फंसे हमारे युवा गांधी को न पहचान सके । हमारे युवाओं के दिल में गांधी के अथान पर गोडसे ने स्थान बना लिया । 

आज हमारे स्कूलों के बच्चे / किशोर भी गांधी को हिकारत भरी नज़रों से देखते हुए मैंने देखा है । इसका एक कारण वे अनपढ़ शिक्षक हैं जो बिना पुस्तकें पढे हुए बच्चों को ज्ञान की घुट्टी पिला रहे हैं । 

ऐसे विषाक्त दौर में यदि आप किशोरों में गांधी को बचाना चाहते हैं तो “एक था मोहन” पुस्तक आपके और उन किशोर बच्चों के लिए महत्त्वपूर्ण पुस्तक है । पुस्तक में बडी ही सहजता से गांधी जी के जीवन और दर्शन को प्रस्तुत किया गया है । उनके संघर्ष को सरल शब्दों में पिरोया गया है । 

आज के मशीनी युग में गांधी दर्शन एक ऐसी औषधि मुझे लगी जो आने वाली पीढ़ी के अंदर संवेदनाओं को बचा सकती है । यदि आप गांधी को कम समय में अच्छे से समझना चाहते हैं और अपने किशोर बच्चों को उनके बारे में समझाना चाहते हैं तो यह पुस्तक आपके लिए एक ऐसा उपहार है जिसका कोई मोल नहीं ।

सुनील मानव

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