दो बहनों की मसाई मारा यात्रा

दो बहनों की ‘मसाई मारा’ यात्रा 

मसाई मारा एक यात्रा है, जहां दो बहनें अकेली गई थीं । कमला भसीन और बीना काक । अब दो हैं तो अकेली कैसे ? यह तो हम पुरुषों का सोचना भर है । खैर !

किताब में एक यात्रा है । यात्रा में है एक जीवन और जीवन की खूब सारी बातें । खूब सारा रोमांच है । ... और इस रोमांच के बीच है केन्या का जंगल । जंगल में एक जगह है । जगह का नाम है – मसाई मारा । ‘मसाई’ वहाँ रहने वाले लोग और वहाँ के शब्दों में ‘मारा’ कहते हैं ‘चितकबरे’ को ।  

कमला जी लिखती हैं – ‘यहाँ सैकड़ों किलोमीटर तक घास के मैदान फैले रहते हैं । बीच-बीच में कुछ पेड़ और झाड़ियाँ हैं । दिन भर बादलों की छाया इस इलाके को चितकबरा बनाए रखती है ।’ बस यही इसका भूगोल है । 

दो बहनों की यह यात्रा शुरू हुई थी 15 जुलाई 2017 को । जहां से इन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ बटोरा । जैसे हम आंधी आने पर बटोर लाते थे बगिया से खूब सारे टपके हुए आम । 

कमला भसीन लिखती हैं – ‘सात दिन में बीना ने तकरीबन 7000 फ़ोटो खींची । मैंने तकरीबन 7000 शब्द लिखे । और यह किताब बन गई ।’ 

सही मायनों में यह केवल किताब भर नहीं हैं । दो बहनों के साथ की एक सजीव यात्रा है । सच में । 
 
‘मसाई लोग ग्वाले हैं । वह गाएं पालते हैं ।’ यह स्थान केन्या के दक्षिण-पश्चिम में 1510 किलोमीटर में तंजानिया से लगकर फैला है । 

यह सैकड़ों नहीं, हजारों भी नहीं बल्कि लाखों की संख्या में जानवरों और अन्य जीवों की बेहतरीन दुनिया है । यहाँ मसाई शेर हैं, अफ्रीकी तेंदुए और बारहसिंघे हैं, हाथी हैं, भैंसे हैं, तरह-तरह के गिद्ध हैं, ज़ेबरे हैं, मगरमच्छ हैं ... इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जुलाई-अगस्त के आस-पास यहाँ ज़ेब्रा और अफ्रीकी बारहसिंघे बहुतायत में आते हैं । कुल मिलाकर तकरीबन बीस से बाईस लाख । 

अब सोचिए सब मिलाकर कितने हो जाते होंगे ! इनमें ही शिकार हैं । इनमें ही शिकारी हैं । दोनों एक साथ दौड़ते हैं जीवन के लिए । किताब पढ़कर रोमाँच से रोंगटे खड़े हो जाते हैं । 
 
लेखिका ने लिखा है – ‘मसाई मारा में देखने को इतना कुछ था कि आँख झपकाना भी मुश्किल था । लगता था उसी पल कुछ छूट जाएगा ।’
 
वास्तव में किशोरों को ध्यान में रखते हुए लिखी गई यह किताब एक अनमोल खजाना है उनके लिए । यहाँ यात्रा का रोमांच है, केन्या के इस जंगल का जीवन । अगर जा सकते हैं तो जरूर जाएं लेकिन नहीं जा सकते हैं तो इन बहनों के शब्दों और चित्रों से सजी इस किताब को घर लाइए । पूरा घर एक साथ खूबसूरत यात्रा करेगा । 

एक ऐसी यात्रा जो आपको अपने बच्चों के साथ कुछ सोचने पर मजबूर कर देगी । आप और आपके बच्चों के स्कूल जो उसे नहीं बताया पाए, यह किताब उसे जीवन में रच देगी । 
 
किताब में बीना काक के चित्र हैं और कमला भसीन के शब्द हैं । इस यात्रा का असल रोमांच इन बहनों की जुगलबंदी है । यहाँ इनका सह-अस्तित्व है । इस यात्रा में जीवन की एक खोज है । जीवन की एक जद्दोजहद है । जीने की जिम्मेवारी है । ... और सबसे महत्त्वपूर्ण एक साझेदारी है । इन बहनों ने इन साझेदारी को इंसान, जानवर और प्रकृति में जोड़कर देखा है । 
 
क्या आप इस यात्रा पर जाना चाहोगे ? 
 
क्या आप इस साझेदारी का हिस्सा बनोगे ?
 
यदि हाँ ! तो यह किताब आपके लिए बड़े काम की है । मंगाइए और बच्चों के साथ बैठकर जीवन की जुगलबंदी को लयबद्ध कीजिए ...

‘सुनील मानव’

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