भारतीय समाज के पहले प्रतिशील नेता कृष्ण
मुझे लगता है कृष्ण भारत के पहले प्रगतिशील नेता थे, जिन्होंने प्रगतिशीलता को महज बौद्धिक वाग्विलास तक सीमित न रखकर उसे जीवन में उतारा । कृष्ण ने बचपन से ही पूंजीवादी सत्ता का विरोध किया और तत्कालीन शक्तिशाली राजाओं, सामंतो से लोहा लिया तथा जनता को इसके लिए तैयार किया । गोकुल में रहते हुए कृष्ण ने जनमानस अथवा जिन्हें हम आम आदमी कहते हैं, उनको नेतृत्त्व प्रदान किया । पूंजीवादी शक्तियों से लोहा लेते हुए तत्कालीन समाज में व्याप्य बाह्याडंबरों का डटकर विरोध किया । उन्होंने जाति, धर्म, रीति, परंपरा, ऊंच, नीच आदि सबको एकसूत्रता में बांधा था । वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पुरुष सत्ता के समकक्ष स्त्रियों को उनके मौलिक अधिकारों से रूबरू करवाया था । आर्य सिद्धान्त, जिन्होंने समाज को वर्गों में बांटने का प्रयास किया, उनका खण्डन किया । पशुधन के साथ-साथ ग्रामीण लघु उद्योगों को बढावा दिया । आयात-निर्यात के नवीन मानक स्थापित किए । कृष्ण ने सामाजिक अंधविश्वासों को तोडा था, उन्होंने खोखले आदर्शवाद को सिरे से खारिज किया था, उन्होंने स्त्री को उसके वजूद व उसके अधिकारों से अवगत कराया था । इस दृष्टि से मुझे कृष्ण सबसे बडे प्रगतिशील की भूमिका में दिखते हैं । समाज में व्याप्त खोखले आदर्शवाद को यथार्थवाद में बदला । जहाँ रामराज में शंबूक जैसे आम व्यक्ति की हत्या होती है, एक वर्ग का रुतवा आसमान चढकर बोलता था, वहीं कृष्ण ने राजा बनने के बाद भी जनमानस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं उनके मौलिक अधिकार प्रदान किए । आक्रांता से किस भाषा में बात करनी चाहिए, यह उन्होंने महाभारत प्रकरण में सिद्ध किया । हां मैं महामानव कृष्ण को सखा भाव से और सनातनी अंधविश्वासों का खण्डन करने वाले प्रथम प्रगतिशील विचारक के तौर पर स्वीकार करता हूँ । संसार की समस्त कलाओं के आलंबन कृष्ण ही आधुनिक भारत के वास्तविक पथ प्रदर्शक हो सकते हैं । रामराज तो उस कुत्सित हुकूमत का नाम है जो आम आदमी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से भयाक्रांत है और अपने इसी भय के चलते वह अपने विरूध बोलने वालों की हत्या तक करवा देने से हिचकती नहीं है ।
सुनील मानव
25/05/2017
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