Posts

Showing posts from October, 2020

जो बीत गईं वह बातें, संबल भरतीं जीवन में …

Image
क्या बला का खूबसूरत था स्नातक से लेकर शोध तक का समय । एक अलग ही जुनून हुआ करता था पढ़ने का । नहाना, खाना, जीवन की दिनचर्या जैसे शब्दों का कोई महत्त्व ही न हुआ करता था । जितना पढ़ता जाता, अज्ञानता का दायरा उतना ही बढ़ता जाता । लेकिन क्या ही गज़ब का जुनून हुआ करता था । अध्यापकों और साथी लड़कियों के मन में बसने का लालच । विद्वान बनने की अति महत्त्वाकांक्षा । साथियों के बीच श्रेष्ठता का दंभ । बहुत कुछ दिखावटी सा हुआ होगा, आज दिखता है । बावजूद इसके पढ़ने लिखने की ललक मज़बूत से मज़बूत होती गई । स्नातक से लेकर आगे तक, सिलेबस तो कभी पढ़ा ही नहीं । बस उससे जुड़ी सैकडों किताबें चाटता रहता । बाबा कहते "असल पढ़ाई तो सिलेबस के बाहर की ही होती है ।" … और जब पढ़ने में मन न लगता या कुछ समझ में न आता तो बापू समझाते "किताब को आँखों के सामने से हटने न दो, कितनी देर समझ में न आएगी । पढ़ते जाओ, बस पढ़ते ही जाओ ।" साथी ही अलग-अलग प्रकार की किताबें सुझाते । … आगे चलकर अरशद और साजिद सर ने तो जैसे भूचाल ही ला दिया जीवन में । वो मेरे जीवन के आदर्श बनकर आए । लेखन के साथ जीने वाले इन दोनों आदर्शों ने किताबो

चोरी और पिटाई बनाम कुंडल चोरी का आरोप …

Image
मैं अपनी पीढ़ी का पहला जीवित बच्चा था अपने परिवार का । ऊपर से लड़का । घर के लोगों का कहना था कि मुझसे पहले एक-दो बच्चे मर चुके थे, और मैं बड़ी मिन्नतों बाद बचा था । कर्मकाण्डी ब्राह्मण परिवार द्वारा जितने जतन हो सकते थे बचाने के, सब किए गए थे । तुलादान से लेकर जन्मते ही दलित दादी के हाथों बिक्री तक । जन्मदिन भी नहीं मनाया गया कभी । घर के लोगों का मानना था कि मुझसे पहले के लड़के का मनाया गया था, वह न रहा । इसलिए मेरा जन्मदिन नहीं मनाया गया । बावजूद इसके मुझे अत्यधिक लाड़, प्यार, स्नेह, अधिकार और छूटें मिलीं जो पुरुष प्रधान परिवारों में ‘लड़कों’ को आज भी मिलती हैं ।  जिया-बाबा से लेकर अम्मा-बापू, चाचा-चाची, बुआ और अन्य सभी । कारण एकमात्र मेरा लड़का होना था, क्योंकि बाद में घर में जो लड़की पैदा हुई वह उन अधिकारों और छूटों से, लाड़, प्यार और स्नेह से वंचित रही । यदि मेरी पीढ़ी में मुझे छोड़ दिया जाए तो मेरे तथाकथित ब्राह्मण परिवार में यह स्थिति अब तक बनी ही हुई है । आज चौथी पीढ़ी के लड़का और लड़की में ‘दूरी’ को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है । खैर ! यह तो बड़ी रामकथा है । कभी न खत्म होने वाली । वास्तविक म