औरत, लेखन और शराब
पुस्तक हाथ में आते ही पढ़ ली जानी चाहिए, अन्यथा रैक में आपकी रहनुमाई का इंतज़ार करती रहती है । मेरा प्रयास रहता है कि पुस्तक हाथ में आते ही पढ़ ली जाए, बावजूद इसके कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें बिना पढ़े रह जाती हैं और अपनी बारी का वर्षों इंतज़ार करती रहती हैं । एक ऐसी ही पुस्तक है 'औरत, लेखन और शराब' । भाई शराफत अली खान की यह पुस्तक वर्ष 2018 में मेरे पास आई । दो-तीन शीर्षक पढ़ भी डाले थे पर पूरी न पढ़ पाई । आज रैक की सफाई करते हुए सामने कूद पड़ी तो सभी काम किनारे कर पढ़ भी डाली । शराफत अली खान की यह पुस्तक लेखकों / रचनाकारों की कुछ विशेष आदतों का विश्लेषण करती है, जिससे उक्त लेखकों / रचनाकारों की एक विशेष पहचान बनी । फ्रायड ने कहीं लिखा था कि 'कला दमित वासनाओं से ही अपना स्वरूप विकसित करती है ।' कष्ट, निर्धनता और परेशानी से ही भाव बाहर आते हैं । पैसे के प्रति आकर्षण साहित्य की आत्मा को खोखला कर देता है । प्रेमचंद ने कहा भी है कि 'जिन लोगो को धन-संपत्ति के प्रति आकर्षण है उनके लिए साहित्य में कोई स्थान नहीं है ।' भुवनेश्वर, निराला, प्रेमचंद, मंटो आदि कभी कालजयी लेखन न कर ...