शब्द के हजारों प्रश्न

#ढाई_साल_के_बच्चे_के_हजारों_प्रश्न (दो साल पहले लिखी गई पोस्ट) ‘शब्द’ ढाई साल से ऊपर के हो रहे हैं । इधर उनके प्र्श्नों की सूची लम्बी ही नहीं बहुत लम्बी होती जा रही है । दिन भर में हजारों प्रश्न । ऐसी लगता है जैसे प्रश्नों का कोई झरना है उसके अंदर, जो सतत प्रवाही है । झरता ही रहता है । लगातार । सीमा के साथ किचन में बैठकर खाना बनाने में मदद करना ‘शब्द’ का प्रिय शगल है इस समय । समझा ही जा सकता है कि क्या मदद करते होंगे ! किचन में रखे तमाम डिब्बों, बर्तनों तथा अन्य चीजों के प्रति जिज्ञासा भरे प्रश्न कई बार सीमा का दिमाग खराब कर देते हैं । मम्मा यह क्या है ?, क्या ... ?, ये क्या है ? डिब्बा ? चौंककर कहता है । ‘अरे वाह ! ये डिब्बा है मम्मा !’ इसमें क्या है ?, फ़िर ये क्या है ? एक ही वस्तु पर हजारों प्रश्न । तब तक किए जाते रहते हैं जब तक सीमा झल्ला न उठें । क्या यह झल्लाहट ठीक है ? हमारे साथ बाहर घूमने वक्त फ़िर से हजारों प्रश्न । ये क्या है ? ‘फ़्लावर हैं ।’ अरे वाह फ़्लावर हैं । ये किस कलर का है । ‘येलो है ।’ येलो है । लॉन में लगे सैकडों येलो फ़ूलों पर एक-एक कर उँगली रखकर बार-बार पूछते हैं...