#जानिए मेरे गाँव जगतियापुर को : 47 #जेहेइ_गांउ_मइको_जेहेइ_गांउ_ससुरो ... #रेशमा_बुआ का माइका और ससुराल एक ही गाँव यानि कि मेरे गाँव जगतियापुर में ही है । बचपन में खूब आना-जाना रहा इनके यहाँ । इनका लड़का #मुनीष हमसे कुछ बड़ा है । उस समय वह पूरनपुर में पढ़ते और काम करते थे । वह जब भी घर आते खूब कॉमिक्स लाते थे । #अंगारा, #चाचा_चौधरी, #नागराज, #ध्रुव, #बाँकेलाल ... न जाने कितने चरित्र इन #कॉमिक्सों के सहारे बचपन में ही मेरे दिमाग में बिंध गए थे । हम मुनीष दादा से एक साथ कई-कई कॉमिक्स ले आते और घर में, बाग में या नहर पर जाकर चोरी-चोरी पढ़ा करते थे । कहना मुस्किल ही है कि उस दौरान कितनी कॉमिक्स पढ़ डाली होंगी । छठे-सातवें में था उस समय और कॉमिक्स का इतना शौक कि लोग आश्चर्य करते । आज अनुभव करता हूँ कि आज जो साहित्य लेखन में #बिंबात्मकता / #चित्रात्मकता या #प्रभावात्मकता का कुछ अंश मेरे अंदर है वह उस दौरान पढ़ी गई कॉमिक्सों का ही है जो आगे मैलानी में कक्षा नौ के समय तक अनवरत जारी रहा । हजारों कॉमिक्स छप गई थीं दिमाग में । रेशमा बुआ बड़ी कर्मठ रहीं अपनी उम्र में । घर के स...