साहित्य के बने बनाए ढ़ाँचे को अस्वीकारती ‘गंठी भंगिनियाँ’

पुस्तक : गंठी भंगिनिया लेखक : सुनील मानव विधा : कथा-पटकथा प्रकाशक : अनुज्ञा बुक्स, नई दिल्ली संस्करण : 2019 (प्रथम) मूल्य : रु. 200 (हार्ड बाउंड) ‘गंठी भंगिनियाँ’ सुनील मानव नई कृति है जो साहित्य रूप के बने-बनाए ढ़ाँचे को अस्वीकारती है । अस्वीकार का कारण केवल नवीनता-प्रकाशन की आकाँक्षा नहीं है, बल्कि अपनी अनुभूतियों को प्रमाणिक रूप में व्यक्त करने की चेष्टा भी है ।कई बार साहित्य-रूप के आग्रह के कारण अनुभूतियों को अपने वास्तविक रूप से हमें लेखन के दौरान अलग करना पड़ता है । लेखक का ध्यान मुख्य रूप से इसी बिन्दु पर केन्द्रित था । अत: पूर्व निर्धारित ढ़ाँचे से इसमें अन्तर आना स्वाभाविक भी था और आवश्यक भी । यह कहना लाज़मी है कि यदि यह पुस्तक केवल पटकथा, कथा, संस्मरण और रिपोर्ताज के रूप में होती तो निश्चय ही अपनी प्रभावान्विति का बहुलांश खो देती और एक विशेष प्रकार की कृत्रिमता इस पर हावी हो जाती । लेखक ने रचना को उससे बचाया है जिसे चाहे तो लेखक की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि कह सकते हैं । लेखक, लेखक होने की अह्मन्यता से मुक्त है । उसे अपनी सीमाओं का ध्यान भी है । स्वयं उसी के शब्दों में ...