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Showing posts from October, 2016

नीलगाय पर तीन कविताएँ

नीलगाय बचपन में पहली बार सुना था उसके बारे में सुना था कि जंगली होती हैं वह गाय भी और जंगली भी एक साथ दोनों यह एक स्वप्न था सच्चाई उन्हें जंगली अधिक घोषित करती है यह मांसाहा...

मकसूद मियां : सुनील मानव

ईशा की नमाज़ पढ़कर मकसूद मियां बाहर आए तो बाजपेई जी बरोठे में ही बैठे मिले। बोले – ‘चतुर्वेदी जी नमाज़ पढ़नी तो छोड़नी पड़ेगी . . . ’ मकसूद मियां के पोपले गालों पर चमक आ गई – ‘मियां बा...